Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

सोचा था

 

Pankaj Trivedi


सोचा था
मेरे जाने से तुम उदास हो जाओगी 
खिडकी के पास बैठकर दूर दूर तक 
हरे बांबू के वृक्षों की कतारों को चीरती 
क्षितिज पर डूबते सूर्य में ढूँढती होगी 
मेरा चेहरा ! 
- पंकज त्रिवेदी

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ