Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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तुम्हारे आने की भनक सुनाई देती हमेशा

 


तुम्हारे आने की भनक सुनाई देती हमेशा,   
पलपल तूफ़ान की तरह उमड़ती हो और 
मैं देखता रहता तुम्हें सहज भावों से !
ज़िंदगी के हर एक पल को मैंने बहुत 
करीब से देखा, सीखा और सजता गया, 
खुद्दारी से जीने के लिए लड़ता रहा !
तुम अब आई हो अब ऐसा तो नहीं है 
तुम तब भी थी, आज भी हो, रहोगी सदा
चाहें दुश्वारियां हो, खुशी हो, तुम तो हो !
हमेशा कहता हूँ, ध्यान से सुनो, देखो 
मन शांत रखो, स्थिरता प्राप्त करो 
ज़ख्म देने वाले दूर के नहीं अपने होते हैं !
अनुभवी प्रभाव बढ़ें तो अपेक्षा ठुमका लेती है 
कभी तुम्हारे ज़रिए, कभी मेरे या कभी उनके 
वो मिलना जरूर चाहें तो रोक लो, खुद को ! 
अमावस की रात ढल जाएं तब पूनम का चाँद 
भीतर का स्खलन भूस्खलन से भयानक होता है 
स्मशानवत शांति से एक मासूम बच्चा उठता है ! 
*
पंकज त्रिवेदी


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