Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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वो ग़लतफ़हमीयों का शिकार होता रहा

 
वो ग़लतफ़हमीयों का शिकार होता रहा
पूरी ज़िंदगी खुद से ही नाराज़ होता रहा 
कितनी खूबसूरती थी उनके अंदर बाहर
फिर भी दूसरों को देखकर वो जलता रहा 
खुदा के बन्दे है सब सरीखे यहाँ वहाँ भी 
खुद को छोटा समझकर वो तड़पता रहा 
मजे से जी ले इस ज़िंदगी को बरखुरदार 
खुदा भी कहें तुम्हें ज़माना याद करता रहा 
- पंकज त्रिवेदी (4 August 2014)
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