यही तो आँगन है
झूला
तुलसी का पौधा
हरसिंगार का पेड़
मेहमानों के पैरों की उभरी हुई निशानीयाँ
बच्चों की किलकारी
सुबह अखबार, दोपहरी डाक
पत्रिकाएँ - किताबें
और
चुपके दबे पाँव तेरा आना और
बोलते हुए पाज़ेब से
खुशियों का खज़ाना !
*
पंकज त्रिवेदी
24 July 2018
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