Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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ये जो पुराने ज़ख्म मिलने को चले आते है

 


ये जो पुराने ज़ख्म मिलने को चले आते है कभी कभी 
दोस्तों से ज़ियादा खबर रखते है मेरी वो कभी कभी 
दिन कैसे भी हों मगर कभी दिल पे तो मन पे आते कभी
मोहब्बत से भी ज़ियादा वफ़ा करें मगर न उफ़ करते कभी 
कभी खून में तो कभी मिट्टी में मिल जाते महबूबा बनकर
कभी रूठकर चले जाएं तो याद करते भी नहीं कभी कभी 
- पंकज त्रिवेदी


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