मैंने देखा अभी अभी, चाँद तुम्हारे सर पे हैl ऐसा लग रहा था जैसे दो चाँद है इस जहाँ में ! महसूस हो रहा था कि यही जज्बात है सबकुछ और जब से तुमने मुझे सुनने का धैर्य दिखायाl
आज मैंने यही कहा कि अब तुम बोलोl फिर भी मैं कुछ ज्यादा बोलता रहा l हालांकि हमारे संवाद थे, सिर्फ अनाप शनाप बातें न थींl ज़िंदगी को समझने की जद्दोजहद में हम ये तय नहीं कर पाते कि कितने दूर निकल रहे हैंl मंज़िल के बारे में सोचना अभी ठीक नहीं हैl
मगर हाँ ! ये मंज़िल क्या है? यही कि हम समझते रहें, सुनते रहें, पलपल साथ निभाए अपने रोज़मर्रा के कार्य में... कितना अजीब लगता होगा तुम्हें ! मगर यह अजीब कुछ नहीं हैl जीवन का वो पन्ना हम लिखने जा रहे हैं जो हमने आजतक छोड़ दिया थाl तब पता नहीं था कि इस कोरे कागज़ पे क्या लिखेंगे?
आज लगता है कि उस कोरे कागज़ पे कुछ लिखना हैl क्या लिखेंगे यह नहीं सोचना हैl कलम है, कागज़ है, मन है, दिल के जज़्बात है और कहीं न कहीं हम ही एक दूजे के संग हैl
साथ रहना और साथ होना... कितना फर्क होता है? मुझे विश्वास है तुमने मेरी बात को ठीक से समझ ली हैl यही कारण है कि भविष्य के लिए एक प्रश्न है मगर सुकून भी हैl इस प्रश्न का अगर कोई जवाब है तो वो सिर्फ तुम हो और कोई अब तो नहीं हो सकता l
इसलिए मैं हमेशा कहता हूँ न कि जो सहजता से ज़िंदगी को बदल रहा है, उसी पल को ईश्वर मान लो l क्यूँकि हमारी श्रद्धा ईश्वर पर तो है, उससे भी ज्यादा एक दूसरे पर भी हैl यही श्रद्धा और विश्वास हमें मंज़िल तक ले जाएगीl
जीवन के कई रूप रंग हमने देखें हैl सफलता-विफलता का आकलन करना भी छोड़ दो न ! चलो आज निश्चय कर लेते हैं कि एक और नये रंग से हमारे जीवन के केनवास पर अपनी अपनी कल्पना के सुखद पल का चित्र बनाएं l जिसके बारे में आजतक हमने सिर्फ सोचा है, साकार नहीं हुआ था जो उसे अब नियति के सहारे नहीं मगर अपने ही हाथों से बनाएं l
मुझे पूर्ण विश्वास है कि दुनिया को रंगों से भरने वाला ईश्वर आज हमारे रंग का कमाल भी देख लेंl वो खुश हो जाएगा और संभव है वो चित्र हमारे जीवन का बेनमून पन्ना होगा l
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पंकज त्रिवेदी
27 May 2018
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