Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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बाहर खड़ी है इंतज़ार में

 
कविताएँ 
बाहर खड़ी है इंतज़ार में
और मन खिल गया 
उनकी बात सुनकर ! 
एक बच्ची 
धीरे से आती है घर में 
जैसे महक लेकर आई हो हवा 
वो भी मुस्कुरा रही थी !
अचानक 
उसने पीछे से मेरी आँखों पर 
कोमल से हाथ दबा दिए 
मैंने उनके हाथ पकड़ने चाहे 
फुर्रर्ररर सी उड़ती चिड़िया आई 
उस बच्ची ने चहकते मेरे गाल चूम लिए 
कुछ कहने से पहले ही वो चली गई 
लगता है सदियाँ बीत गई उन्हें ! 
पंकज त्रिवेदी

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