खुले आसमान में उड़ान भरने का प्रबल मनोबल, प्रकृति की ऊर्जा और अपनों के आशीर्वाद- दुआओं से मैं आत्मविश्वास से भरा हुआ महसूस करता हूँ | कहीं सामाजिक परिस्थिति, कभी भाषा का वैविध्य या तंदुरस्ती की विसंगतता हो सकती है | मगर उसी में से अपने नियत कर्मों के लिए कटिबद्ध रहता हूँ |
सोचता हूँ कि जितनी ज़िंदगी है, हर पल अपना श्रेष्ठतम प्रदान करता रहूँ | जब कलम रुक जाएं तब मैं खुद ही रुक जाऊं | सदा के लिए .... - पंकज त्रिवेदी
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