Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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अपने वजूद से समझोता कर बैठे

 

अपने वजूद से समझोता कर बैठे
वो लो सुनो जमीर का सौदा कर बैठे

 

देखो बना दिया 'लाल' संगेमरमर
लहू का इस्तेमाल अनोखा कर बैठे

 

अपनी मंज़िल पर इस तरह चीखे वो
ज़माने के साथ खुदको बहरा कर बैठे

 

खड़े है हर चौराह पर बुत उनके आज
परिंदों की खातिर नया बसेरा कर बैठे

 

मारने को पत्थर जो कीचड़ हुआ ख़त्म 'निशात'
सारी गंगा को आज वो गन्दा कर बैठे

 


परीक्षित 'निशात'

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