मैने पढ़ा था इक किताब में
होते है रंग धूप के सात
थी वो किसी 'विज्ञान' की किताब
सोचा मैंने शायद , उन्होंने
गिनती कुछ कम की है
मैंने तो देखे है रंग कई
बस एक ही किरण के
एक सुबह पहली किरण का रंग
और एक ओस की बूंद पर
चमकती उसी किरण का रंग
हरी घास और ऊँचा बरगद
दोनों के है रंग अपने अपने
उसी किरण के साथ
आईने पे पड़ी किरण
और दिखाती पानी में अक्स
बर्फ को पिघलती
और सहलती हुई पर्वतों को
शाम को जाती हुई
उसी किरण के है रंग हज़ार
तो केसे हुए ??
उस धूप के रंग सात
जिसमे ह फैली बिखरी
अगणित किरणे बार बार
मिलूँगा उन्हें तो बताऊंगा
है रंग धूप के कई हज़ार
-परीक्षित 'अंतिम अन्नंत
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