मैं कोई फ़रिश्ता नहीं जो तुझे माफ़ कर दूँ
अपने हरे बहते जख्मो का ही हिसाब कर दूँ
सारी जिंदगी की थी मैंने बंदगी बस तेरी ही
ना उम्मीद कर अब मौत भी तेरे ही नाम कर दूँ
लिखे हैं लोहो ने बेवफाओ की याद में बहुत शेर
मैं वो शायर नहीं जो कलाम सब तेरे नाम कर दूँ
तूने तो उड़ाया था सरे राह मेरे प्यार का माखौल
बेगैरत नहीं मैं जो राज तेरे पेशे-आवाम कर दूँ
मिटा दिए निशा सारे तूने वक़्त से मिलकर मेरे
होसला नहीं मुझमे जो सूखे फूल आग कर दूँ
परीक्षित 'अंतिम अन्नंत
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