देखकर तुमको आज
फिर भूली कहानी याद आई
साथ साथ कितने ही पल
गुजारे थे हमने
वो पेड की छांव तले बैठना
वो भींगते हुए दफतर से लौटना
कभी रिक्शे के इन्तजार में तुम्हारा वहाँ रहना
कभी समय से पहले ही मिलन स्थल
पर आ कर ........बेचैन होना
आज जब ये बातें याद आ रही है तो
और भी कचोट उठता है दिल
कभी तो साथ रहने की खाई थी कसमें हमने
पर आज
याद करने को मुकरता है दिल
बेवफा हो तुम, बेवफाई तुम्हारी फितरत
फिर,मैंने भी वफादारी की खाई थी कसमें
तुम्हें भूला ही नहीं तो
क्यों करूँ याद
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