पवन कुमार भारतीय
मै 80-90 के दशक का बचपन हूं
मैंने एनर्जी के लिए रुआफ्जा से लेकर रेड बुल तक का सफर तय किया है,
कच्चे खपरैल वाले घर से वेल फर्निश्ड फ्लैट तक का सफर तय किया है,
एक्का ताँगा से लेकर जीप पे पीछे लटकने से लेकर लक्जरी कार तक का सफर तय किया। है,
ढेबरी से लेकर LED बल्ब तक का सफर तय किया है ,
अजय जडेजा से रविन्द्र जडेजा तक का सफर तय किया है ,
चकती लगे हुए हाफ पैंट से ब्रांडेड जीन्स तक का सफर तक किया है ।
माचिस की डब्बी वाले फोन से स्मार्टफोन तक का सफर तय किया है,
मै वो समय हूं जब तरबूज बहुत ही बड़ा और गोलाकार होता था पर अब लंबा और छोटा हो गया
मैंने चाचा चौधरी से लेकर सपना चौधरी तक का सफर तय किया है
मैंने बालों में सरसों के तेल से लेकर जैल तक का सफर तय किया है
चूल्हे की रोटी में लगी राख़ का भी स्वाद लिया है
मैंने दूरदर्शन से लेकर 500 निजी चैनल तक का सफर तय किया है।
मैंने खट्टे मीठे बरों से लेकर कीवी तक का सफर तय किया है।
संतरे की गोली से किंडर जोय तक का सफर तय किया है।
आज की पीढ़ी का दम तोड़ता हुआ बचपन में देख रहा हूं लेकिन आज की पीढ़ी मेरे समय के बचपन की कल्पना भी नहीं कर सकती।
मैंने ब्लैक एंड व्हाइट समय में रंगीन और गरीबी में बहुत अमीर बचपन जिया है।
मेरे बचपन के समय को कोटि कोटि धन्यवाद।..
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