लोकतंत्र मजबूत बनाकर,भारत का उत्थान करें।
जाति-धर्म की तोड़ दीवारें,आओ हम मतदान करें॥
चोर-उचक्के-बाहुबली जो,उनसे हमें न डरना है।
शिक्षित जो सुख-दुःख में शामिल,ऐसे प्रतिनिधि चुनना है।
गाँव-गाँव अरु शहर-शहर में,घर-घर जन अभियान करें।
जाति-धर्म की तोड़ दीवारें,आओ हम मतदान करें॥
कोई हमको लालच दे गर,नहीं जाल में फँसना है।
अपनी बुद्धि-विवेक-ज्ञान से,उत्तम निर्णय करना है।
अमन-चैन के फूल खिलाकर,मनमोहक उद्यान करें।
जाति-धर्म की तोड़ दीवारें,आओ हम मतदान करें॥
मंदिर-मस्जिद वाला मुद्दा,पाँच साल में उठता है।
भूत सियासी बड़ा भयंकर,शीश सभी के चढ़ता है।
विकट समस्या इसका कोई,सीधा सरल निदान करें।
जाति-धर्म की तोड़ दीवारें,आओ हम मतदान करें॥
संसद की महती गरिमा को,तार-तार जो करते हैं।
लोकतंत्र के मंदिर में जो,नंगा नर्तन करते हैं।
उन्हें नहीं हम जाने देंगे,शपथ सहित ऐलान करें।
जाति-धर्म की तोड़ दीवारें,आओ हम मतदान करें॥
पीयूष कुमार द्विवेदी 'पूतू'
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