जो किसी की बहन की इज्जत तार-तार करे।
जो किसी की बेटी पर जानलेवा वार करे।
जो किसी के माथे कलंक धरे।
जो किसी सपने चकनाचूर करे।
जो किसी को घुट-घुट मरने को मजबूर करे।
जो अमर्यादित उच्छृखंल हो।
जो पापी बेअकल हो।
जिसे चिंता न हो परिवार की।
जिसे डर न हो मार की।
जिसे पता न हो सभ्यता अपनी।
जिसे मालूम न हो संस्कृति अपनी।
जिसे कर्तव्य का न ज्ञान हो।
जिसे न कोई स्वाभिमान हो।
ऐसा वहशी दरिँदा मक्कार।
जो कर दे शर्मसार।
भगवान प्रार्थना है बारंबार।
कभी मुझे मत देना ऐसा भाई।
पीयूष कुमार द्विवेदी 'पूतू'
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