Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

फुटबॉल विश्वकप सेमीफाइनल-1

 

 

सुनामी आई,
जर्मनी कहें जिसे,
ब्राजील बहा।

 

नेमार बिना,
ब्राजील अनाथ सा,
देखे जीत को।

 

अंतर बड़ा,
टीमों के बीच रहा,
सात-एक का।

 

सूखे पत्तों सा,
ताबड़ तोड़ हुई,
गोलों की वर्षा।

 

अश्क की नदी,
बह चली आँखों से,
निराश फैन।

 

मौका-ए-जश्न,
संपूर्ण जर्मनी में,
खुश जर्मन।

 



पीयूष कुमार द्विवेदी 'पूतू'

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ