आँखे सजल,
कलाई सूनी-सूनी,
दूर बहन।
रोकर सोई,
इंतजार करके,
बहन हारी।
मैं हॉस्टल में,
बहन मेरी घर,
दूरी बहुत।
काश!पंख हो,
उड़के बँधा आता,
मैं भी राखी।
माँ ने बताया,
अभी-अभी बहन,
रोकर सोई।
प्रेम की गंध,
पिछले वर्ष की है,
रक्षाबंधन।
पीयूष कुमार द्विवेदी 'पूतू'
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