प्रभु प्रार्थना सुन लीजिए।
सद्बुद्धि नर को दीजिए॥
अब नारियोँ की देह का,
आ आप रक्षण कीजिए।
चहुँ ओर रावण सैन्य है,
संहार इसका कीजिए।
दिल्ली-बदायूँ सी कहीं,
घटना घटित मत कीजिए।
घर-द्वार-बाहर डस रहें,
किँचित हलाहल पीजिए।
अन्याय कैसा घोरतम्,
निज चक्र कर में लीजिए।
दिन-रात 'पूतू' सोचता,
अब त्राण ईश्वर कीजिए।
पीयूष कुमार द्विवेदी 'पूतू'
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