Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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संचारी भावों के नाम एवं संख्या दोहोँ में

 

शंका-जड़ता-ग्लानि-श्रम,चिंता-ईर्ष्या-हर्ष।
उग्रता-निर्वेद-मरण,निद्रा-सुप्त-अमर्ष॥

 

 

दैन्य-त्रास-आवेग-धृति,अपस्मार-विषाद।
ब्रीड़ा-वितर्क-मोह-मति,गर्व-व्याधि-उन्माद॥

 

 

अवहित्थ-औत्सुक्य-स्मृति,विबोध-मद-आलस्य।
बत्तीस संचारि हुए,अंतिम है चापल्य॥

 

 

भानू अथवा देव ने,एक कहा 'छल' और।
रामचंद्र 'चकपकाहट',मिला उसे भी ठौर॥

 

 

 

पीयूष कुमार द्विवेदी 'पूतू'

 

 

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