Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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तू तसा...

 

 

तू तसा...
मी असा!

 

दान तू...
मी पसा!

 

तू गझल!
मी वसा!!

 

शब्द मी...
तू ठसा!

 

एक तू...
आरसा!

 

मी तुझा...
कवडसा!

 

जन्म हा...
प्रश्नसा!

 

तू धुरा,
भरवसा!

 

तू गळा...
मी घसा!

 

तू हिरा...
शुभ्रसा!

 

मी असा...
कोळसा!

 

वाघ तू,
मी ससा!

 

चेहरा...
हा असा!

 

वाटतो...
वृद्धसा!

 

वृद्ध ना,
फारसा!

 

जन्म हा...
माणसा!

 

दु:ख हे...
वारसा!

 

लोकहो!
या, बसा!!

 

हासवा,
अन् हसा!

 

जा रडा...
ढसढसा!

 

दर्शनी,
पण, हसा!

 

भोगुनी...
तृप्तसा!

 

संपली...
लालसा!

 

यार तू...
रे, कसा?

 

दे दगा...
छानसा!

 

 

-------प्रा.सतीश देवपूरकर

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