मेरी एक सहेली हैं उसे… समय को लेकर हमेशा शिकायत रहती है कहती है कि अपने लिये टाईम मिलता ही नहीं। वह आफिस में भी बहूत ही बेतरतीब ठंग से आती हैं पूछने पर कहती है क्या करूं समय ही नहीं मिलता। और समझाने पर दफ्तर आने से पहले उसने क्या क्या किया उसका ब्योरा देने लगती। अन्य सहकर्मी भी उसकी बातंे मजे ले ले कर सुनते….. लेकिन उसे… यह कोई नही बताता कि….. तुम्हारी बातो से यह स्पष्ट लगता हैं….. कि तुमने सिर्फ समय बर्बाद किया उसका उपयोग किया होता तो …तुम्हारे पास समय ही समय होता।एक दिन हमारे आफिॅस में एक नई महिला आई, उसने मेरी सहेली को प्रेम से समझाते हुये कहा … आफिस में ठंग से सलीके से रहने के अनेक फायदे समझाते हैं उसनेे बताया कि आप आफिस में ठंग से आयंेगी तो आपका मन काम में ज्यादा लगेगा।वह थोडी नाराज हुयी और उसे भी अपनी व्यस्त दिनचर्या की कहानी सुनाने लगी मेरी सहेली की पूरी बात बिना टोके सुनने के बाद उन्हाने एक दम शान्त मन से कहा आप जिन कामों को गिना रहीं हैं वह एक भी काम, मैं नहीं करती ं और उसके कारण मेरा कोई नुकसान भी नहीं होता और मेरे पास समय भी प्र्याप्त होता है
उसकी बात सुनकर मेरी सहेली एकदम चुप हो गई उस दिन आफिस में उसने एक शब्द भी नहीं बोला। शायद गंभीरता से मनन कर रही थी दुसरे दिन आफिस में उनका बदला हुआ रंग ठंग देखकर सब हैरान थें खुश थे पुराने सहयोगीयों ने उन्हे छेडने की कोशिश पर वह मुस्कुराती रही। काम खतम होने के बाद उन्हाने सब को चाय पिलाई और सब के सामने अपने नये सहयोगी का शुक्रिया अदा किया उसने कहा मुझे समझ में आ गया किसी के पास इतना कम समय नहीं होता कि अपने आप को समय न दे पाये ऐसा कहने वाला अपने आप को घोखा दे रहा हैं उस दिन बातों बातों में मेरे मित्ऱ ने मुझे बडी बात कह दी थी।।
काम पर फोकस करने के कुछ सरल तरीके
आधुनिक युग में काम का जो कल्चर हैं उसमें टाईम मैनेजमैन्ट के साथ एनर्जी यानी शरीर की ताकत का प्रबंधन होना भी जरूरी है।
कई बार हम एक ही वक्त में एक से अधिक काम करते हैं लेकिन लम्बे समय के लिये ये अच्छा नहीं है
उर्जा आपके पास सीमित हैं और आप उसे अलग अलग कामों में खर्च करते हैं
लम्बे समय तक काम करने से उर्जा का व्यय होने लगता है आप चिडचिडे कमजोर से होने लगते हैं और एक समय में लगता हैं कि इतना काम करने वाले आप आज कुछ भी नहीं कर पा रहे।
शारीरिक उर्जा- दिन में एक घंटे व्यायाम जरूरी हैं ऐसे करेगें तो दिन भर बिना थकावट के काम करेगे।
व्यायाम के दौरान श्रावित होने वाले एंडोर्फिन त्र्राव तरोताजा होने का अहसास करातें है
आध्यात्मिक उर्जा- यह उर्जा भीतर से आती हैं इसके लिये आपको हर बार आत्मवोलकोन की आवश्यक्ता होती है।
इसमें घ्यान के प्रयोग करना बहुत जरूरी हैं सांसारिक चिजो ंके प्रति मोह स्वतः ही खतम हाने लगाता है
मस्तिष्ककी उर्जा- इसके लिये सकारात्मक होना जरूरी हें शिकायतों के बदले समस्याओं पर घ्यान दंे।
काम करने की उर्जा-इसको प्राथमिकता दी जाती हैं शांत और केन्द्रित मस्तिष्क से इसे आप दिनों दिन बढा सकती हैं ।
बस इसके लिये जीवन शैली बदलनी होगी।
व्यक्तिगत उर्जा- एैसा न करें की परिजन व मित्रों के लिये समय न बचे । जब बच्चों को आपकी जरूरत हो तब आप निढाल हो चुके हों काम समय ये खतम कर समय से घर पहूॅचें।
’’दिन, महिने, साल गुजरते जायेंगे, हम काम में जीते काम में मरते जायेंगें’’
प्रेषक प्रभा पारीक
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