उस दिन उत्तर प्रदेश के भावी प्रधान मंत्री आदित्यनाथ योगी का विस्त्रत परिचय सुनकर गश खाकर गिरना ही चाहते थे कि स्वयं पर नियंत्रण रख लिया । योगी की सौ बातें सुनते सुनतें आँखै चैडी होती रही और हम सुनते रहे... आॅखों के विस्तार की सीमा थी पर उनकी बातें अनन्त थी। योगी जी सुबह चार बजे उठते हैं मंदिर के मठाधीश का कार्य संचालन में कुशल हैं घर बार त्याग कर धर्म कर्म के साथ राजकाज में भी निपूर्ण हैं पशुओं का प्रेम पूर्वक पालन उनका काम हैं भंयकर पशुओं को अपने वश में कर लेना उनका शोैक हैं अब कामकाज में उनकी पकड तो समय ही बतायेगा। अभी फिलहाल तो योगी जी रावण की सोने की लंका का वही हश्र कर रहे हैं जो हनुमानजी ने किया था।
बागवानी करना खेत खलीहान उनके मन बहलाने के साधन हैं संन्यासी ह.ैं... धर बार त्याग चुके हैं... मठाधीश हैं भगंवा हैं ... धार्मिक हैं गायों को खिलाये बिना भोजन नहीं करते...कैलाश मान सरोवर यात्रा के लिये एक लाख रूपै प्रतियात्री अनूदान की सहमती दर्शाचुके हैंव अपने भाषण का समापन जय श्री राम से करते हैं। शिक्षित हैं डिग्रीयां प्रमाण हैं विद्ववान हैं पुस्तकें लिख चुके हैं समाज सेवक हैं अच्छे श्रोता हैं मठ के बाहर बैठ कर प्रतिदिन जनता की फरीयाद सुनते हैं शाकाहारी हैं दयालु हैं आत्म रक्षा के प्रति सजग हैं पिस्तौल का लाइसैन्स अभी रिन्यू करवाया हैं (महगीं वाली)...बाहू बली हैं अखाडे में कुश्ती लड़ने में सक्षम हैं योग करते है इसीलिये योगी कहलाये?,
मोदीजी के आज्ञाकारी हैं उन्ही के मार्ग का अनुसरण कर रहे हैं अविवाहित रह कर.... ,दबंग हैं निड़र हैं साहसी हैं और मित भाषी हैं और भी न जाने क्या क्या....।
भोगी हैं....वह... इसलिये की घर चाहे न हो पर मंहगी गाडियों का शोक रखते हैं भगवां घारण करना तो मठाधीश होने के लिये ड्रैस कोड हैं। देश भक्त हैं क्यों कि अपने भाषण की शुरूआत वंदे मातरम से करते हैं
भारत के इतने बडे राज्य का मुख्य मंत्री बनकर सारी व्यवस्था का सुचारू संचालन कर सकने जितना समय तो उन्हे देना ही होगा उन्हे शायद अधिक समय देना पड़े क्यों कि उनका कार्य श्रेत्र अधिक विस्तृत हैं कितने विरोध होगंे प्रतिदिन जिनका सामना करना अपना नियंत्रण बनाये रखना होगा....अभी कल ही योगी जी के गोरखनाथ मंदिर परिसर में एक व्यक्ति ने आत्म दाह का प्रयास किया जबकी वह स्वयं मंदिर परिसर में मौजूद थे बाहर आकर समाधान करने जितना बडा मुददा भी नहीं था यह ।
वह व्यस्त हैं सारे उत्तर प्रदेश की सडकों के गढढे भरवाने में। उनके मुख्यमंत्री बनने के पीछे मोदी जी व अमित शाह जी का भी कोई सपना है इसकी जानकारी भी उन्ही के भाषण से मिली। सब ठीक हैं राजनितिक प्रक्रिया हैं पर एक महत्वर्पूण बात यह हैं कि उत्तर प्रदेश की महिलायें व व्यापारी वर्ग की सुरक्षा पर लगे प्रश्न चिन्ह का समाधान कब होगा? कब होगी महिलायें सुरक्षित और कैसे हों पुलिस थानों में ही अपमानित हो रही महिलाओं की सुरक्षा ,उत्तर प्रदेश की जनता बाहर सुरक्षा की आशा भी कैसे करेगी। योगी जी के अचानक हुये दौरे से सकपकाया पुलिस विभाग सतर्क होगा,चैकन्ना होगा या सुधर जायगा। आवश्यक्ता हैं उत्तर प्रदेश के मैहनत कश वर्ग किसान व मजदूर वर्ग की जो अपने घर परिवार से दूर भारत के हर कौने में रोजगार कर रहा हैं वह अपने गाॅव शहर लौटे सम्मान से अपने परिवार के साथ रह कर कमायें तभी उनके हो रहे शोषण पर नकेल कसेगी।वर्षा का जल संचित हो तो सूखे की मार न झेलनी पडे।सडक के गठठे राहगीर के बाधक हैं तो प्राकृतिक विपदा किसान को और असुरक्षित महिलांये समाज के विकास को बाधित करती हैं अंत में सबका विकास उनका सही उदेश्य होना चाहिये न कि मात्र अपना विकास’’ बेरोजगार युवाओं के लिये कमाई होनी चाहिये
बीमारों के लिये दवाई हानी चाहिये
बच्चों के लिये पढाई होनी चाहिये
नेताओं के लिये विचारों की भरपाई होनी चाहिये ।
प्रेषिका-- प्रभा पारीक
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