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Dr. Srimati Tara Singh
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दिपावलीका अगला दिन नव वर्ष और सब रस(साबुत नमक)

 

दिपावलीका अगला दिन नव वर्ष और सब रस(साबुत नमक)
गुजरात राज्य भारत का एक मुख्य राज्य जहाॅँ का इतिहास वीरता,प्रेम,शोर्य कला ,साहित्य, संस्कृति व सुख सम्पन्नताऔं के साथ संघर्ष भरीजीवन गाथाओं का भंडार है । यहा का सरल सादगी भरा जीवन देश में ही नही विदेशोंमें भी चर्चा कर विषय बना हुआ है।दिपावली का त्योहार पुरे भारत में हर्षेाउल्लास से मनायाजाता है। भारत के कुछ राज्यो में नव वर्ष का शुभारंभ अलग अलग तरह की  फसलों के तैयार  होने के बाद व त्योहारों के अनुसार माना जाताहै ।उसी संदर्भ में गुजरात में नव वर्ष दिपावली के अगले दिन अर्थात कार्तिक वदएकम् के दिन से माना जाता है । गुजरात में महिनों की शुरूआत अमावष्या के अगले दिनवद पक्ष से नया महिना श्ुारू माना जाता है इसलिये दिपावली का अगला दिन महत्व पूर्णमाना जाता है इसे नव वर्ष के रूप में मनाते है।इस दिन प्रातः चार बजे से ही नमक देने वालोंका सिलसिला शुरू हो जाता है। भोजन के सभी रसों का सार ,जिसे सबरस कहा जाताहै।जो की सकारात्मक उर्जा का स्त्रोत माना जाता है।गावों में ही नहीं  शहरो की गलियों में अशोक वृक्ष के पत्ते (आसोपालव) ं की व हजारे के फूलों की बन्दनवार के साथ सबरस लेा…. सब रस लो… कीगुहार सुबह चार बजे से ही शुरू हो जाती है। सब रस अर्थात साबुत नमक जिसे उस दिन सम्मानपूर्वक एक दुसरे को देना या खरीदना शुभ माना जाता है घर में शुभ ,शांति कापदार्पण अर्थात नव वर्ष में धन से सर्व प्रथम नमक मीठु खरीदना शुभ है।  भले मुठी भर ही क्यों न हो जिसे पूरेवर्ष संभाल कर रखा जाता है। दिपावली के अगले दिन पूरा परिवार प्रातःचार  बजे उठ जाता है।महिलायें उठ  कर पिछले दिन का कचरा एकत्रित करती हैं।सकारात्मकउर्जा के आमंत्रण आगमन की आशा से कचरा एकत्रित करने का पात्र जिसे सूपडी कहते हैं।  उसकी भी सम्मान से पूजा करती है। धर आंगन कोरंगोली से सजाना गुजरात की मुख्य परंम्परा हैं यु तो गुजरात में दिपावली के पहलेआने वाली एकादशी से आंगन में रंगोली सजाने की प्रथा हैं पर इस उिन की रंगोलीहर घर की विशेष ही होती हैं नव वर्ष की रंगोली को घर के प्रवेश द्वार पर हीबनाया जाता हैं लक्ष्मी के स्वागत व शुभ के आगमन की आशा और विश्वास के साथ । नववर्ष के आगमन की खुशी मे प्रातः पुनः दिपक जलाते है। आतीश बाजी करते हैसभी धर के बडो के चरण स्पर्श करके आर्शिवाद लेते है।और धर के बडे बुजुर्गबच्चो को पैसे भी देकर आशिष देते है सभी एक दुसरे को साल मुबारक कह करएक दुसरे को शुभ कामनायें देते है ।आपको जान कर आशचर्य  होगा की गुजरात की संस्कृति में जितना महत्वपुर्ण दिपावली का त्योहार  है ,उतना हीमहत्व पूर्ण है नया वर्ष जिसे स्थानिय भाषा में बेसतु वर्ष कहतेहै दिपावली के दिन नहीं वरन( बेसतु वरस, साल मुबारक) नव वर्ष के इस महत्व पूर्ण दिन सभी हर स्तर के लोग नयें वस्त्रपहनते हैं घर को यथा संम्भव सजाते है । सर्व प्रथम नहा धेा कर सबसे पहले मंदिरजा कर दर्शन करते है यथा संम्भव दान पुन्य करते है।तरह तरह के पकवान बनाते है। एकदुसरे के घर आने जाने का सिल सिला दिन भर क्या सप्ताह भर तक चलता है। गुजरात कामिलनसार स्वभाव जग विख्यात है।गुजरात पकवानो के लिये  वैसे ही विख्यात है।एक दुसरे के घर विविध पकवानोंका आन्नद लेने के बाद सुगंधित मुखवास( मुखशुध्धी सौफ सुपारी आदि) करना भीपरंपरा में शामिल है। इसतरह गुजरात अपने नव वर्ष का स्वागत साबुत नमक खरीद कर करता है जिसे वर्षभर संभाल का रखते है अगले नव वर्ष के आगमन तक मुठी भर नमक लाकर  हम अपने साथ ठेर सारी सकारात्मक उर्जा आशायेंआस्थ व विश्वासको संजोंकर रखते हैं पुराने नमक से हर घर के सदस्य की नजर उतारीजाती हैं अर्थात नकारात्म उर्जा को विदा किया जाता हैं
प्रेषक प्रभा पारीक

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