गुटखा...... खा और गटक जा फिर चाहे जो भी हो.... वो दिन लद गये जब पान का मतलब होता था तहजीब पान लगाने और खाने ओर पेश करने की कला अवधी संस्कृति की मिसाल थी। लखनऊ की प्रसिद्व गिलौरी खाकर किसके मुह में पानी न आये एैसा हो ही नहीं सकता । पर हालात अब बदल गये हैं आधुनिकता के युग में अब सब कुछ बदल रहा हें तो पान भी पंरम्परा को दौड में पीछे धकेला जा रहा हेै और उसका स्थान ले लिया हैं गुटखे ने जिसके नित नये विज्ञापन देखने को मिलते हैं तरह तरह की रंगीन पैकिंग में मिलता हैं हर जगह उपलब्ध हैं पान के मुकाबले संभालना आसान हैं और पान से ज्यादा नशा देता हें और तो और पान से ज्यादा खतरनाक भी हैं पर फिर भी पान की गिलौरी की जगह गुटखा गटकने वालों की भरमार ज्यादा हो गयी हैं छोटे छोटे बच्चे भी इसका सेवन खुले आम करते नजर आ रहे हैं
चिकित्सा विशेषज्ञों की माने तो पान में 12 गुण मौजूद हेै और उसका स्थान लेने की दौड में आगे निकलता गुटका कैन्सर का सबसे बडा कारण बनता जा रहा हैं चिकित्सको ने यह बात भी मानी हैं कि पान में एंटी कैसर गुण पाये जाते हैं मसाला गुटखा कैसर की सबसे बडी वजह बनजी जा रही हैं केन्द्रीऔषधीय अनुसंधान संस्थान के वेज्ञानिको ने इन दिनो पान ही को अपने शोध का विषय बनाया हैं क्यों की पान में कैसर रोधी तत्व पाये जाते हैं आज हालात ये हैं कि लोगो ने पान बेचना बंद करके गुटखा बेचना शुरू कर दिया हेंै
इन सबके साथ सबसे बुरा असर पान की खेती करने वाले किसानों पर पडा हैं पान की खेती का सबसे बडा श्रेत्र महोबा माना जाता हैं परंन्तु अब वहाॅ पान की खेती करने वाले किसाान भुखमरी की हालत में जी रहे हैं पूरे देश में 25 लाख किसान पान की खेती पर निर्भर हैं सातसौ करोड से भी ज्यादा अर्न ओवर का व्यापार करने वाला पान का व्यापार गिरकर एक तिहाईतक पहुॅच गया हैं
गुटखे में सैकरिन मिलाया जाता हैं जो स्वास्थ्य के लिये हानीकारक हैं इसकी तेज खुशबु व आकर्षक पैकिंग के कारण इसकी बिक्रि दुगनी चैगुनी हो रही हैं । भ्रामक विज्ञापन के बावजूद सडी हुयी सुपारी रसायनों की मिलावटों का यह चूरा युवा ही नही हर आयु वर्ग को प्रभावित करने में कामयाब हैं पुरूष ही नहीं महिलाये भी इसका सेवन घडल्ले से कर रहीं हैं औा कैसर रोग को दावत दे रहे हैं
गुटका मुह के कैसर का कारण पाया गया हैं साथ ही टी बी किडनी की खराबी फेफडे के गलने की समस्या आम हो चुकी हैं यही हाल तम्बाकु सेवन करने वालो का भी हैं प्रश्न यह हैं कि इन्सान की जान का दुश्मन यह गुटका बाजार में सजा कर ख्ुल्लेआम बेचा ही क्यो जा रहा हैं सिर्फतम्बाकु चबाना स्वास्थ्य के लिये हानीकारक होता हैं चेतावनी लिख देने मात्र से जिम्मेदारी पूरी नही हो जाती आखिर इसको बन्द करने के लिये सक्ष्त कदम क्यो नही उठाये जाते बच्चों को इस लत का शिकार होने से बचाने का प्रयास क्यों नही किया जा रहा हम जान बूझ कर यह जहर हमारी आने वाली पीठी के रक्त में पहुचाने के लिये क्यो त्तपर हैं अन्जान नही हैं हम इसके परिणामो से पर फिर भी क्यो प्रयास नही करने इससे स्वास्थ्य को कितना नुकसाान पहुच रहा हैं लोगो का कहना तो यह भी हैं कि यदी जल्दी ही गुटके के जहर को उतारने के ठोस कदम नही उठाये गये तो वह दिन भी दूर नही जब पान की खेती का नामों निशान मिट जायगा आयुर्वेद ने भी पान को एक खास स्थान दिया हैं । पान को गले के संक्रमण के लिये भी हितकारी माना गया हैं।
प्रेषक प्रभा पारीक
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