Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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जीवन प्रवाह

 

चलते रहो तुम बहते हुये पानी की तरह,
दृढ संकल्प होे उड़ते हुये पांखी की तरह,
टकराओं तूफानों से ऊंचे पर्वतेंा की तरह,
दो रोशनी उगते हुये सूरज की तरह,
शीतल करो , बहती ठंडी हवा की तरह,
खुशबु दो महकते हुये फूलों की तरह,
बढें सदा कदम बहती लहरों की तरह,
छा जाओ मानस पर काली घटाओं की तरह,
कर के संकल्प, करो अपने सपने साकार
करो गगन गुलजार सूरज चाँद सितारों की तरह।

 


प्रेषक प्रभा पारीक

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