हम अकसर हर बात को सरकार की जिम्मेदारी मान कर हाथ झाड कर
बैढ जाते है पूरा नहीं होने पर सरकार को कोसने से बाज भी नहीं आते।हमारे आस पास यह देखा
गया है कि एक घर का कचरा दुसरे के आंगन की शोभा बिगाडता नजर आता है।कचरा फैकने वाला
स्वयः को लाचार कहकर नजरें चुराता बच निकलने में ही अपनी भलाई समझता है।और वहाँ रहने वाले
या वहाँ से गुजरने वाले इसे सहन करने पर मजबूर होते है।
अकसर गलियों में कुछ घर एैसे होते हैजिनके सामने सदा कचरे का जमाव रहता ही है।आसपास
काम करने वाले अपनी आदत अनुसार अपना कचरा पात्र खाली करते है।अपना घर साफ रखकर
उनको ही अपना आंगन साफ रखने की सलाह तक दे डालते हैओर कुछ बोलने की नोबत आने पर
झगडा करने पर भी उतारू हो जाते है। कभी कभार बात मार पिटाई तक भी देखी गयी है। अकसर
जिन घरों में कोई स्थाई निवास नहीं करता या घर के बाहर आना जाना नहीं हो या कम हो। अथवा
कभी कभी घर के लोग या नोकर ही जब कचरा डालने लगते है ओरों को भी मोका मिल जाता है एैसे
में सफाई कर्मचारी भी ऊपर ऊपर का कचरा उठा कर अपने कर्तव्य की इति समझ लेते है मैन अकसर
वहाँ पर् “यहाँ कचरा न डालें“ जैसी सूचना लिखी देखी है।
प्रश्न है कि यह मानसिकता है क्युं।की जहाँ पहले से कचरा पडा है तो हमारा भी अघिकार है ओर
कचरा वहीं डालने का। क्या आपका वहाॅ से रोज का आना जाना नहीं हैक्या उस जगह कचरा फैकने
वालां े को स्वच्छ हवा की आवश्यक्ता नहीं है।क्या उस जगह पर पनपने वाले मक्खी मच्छर जानवर
उनको प्रभावित नहीं करते?क्या गली मोहल्ले को साफ रखना सबका कर्तव्य नहीं है।
इसी मानसिकता को बदलने का प्रयास है।“स्वच्छ भारत अभियान“ जिसके तहत स्वच्छता को हमारी
जीवन शैली का अभिन्न अंग बना देना है।स्वच्छ रहना हमारी आवश्यक्ता बन जानी चाहिये। घरेलु स्तर
पर इसकी शरूआत करनी होगी।
आओ संकल्प उढायें घरेलू कचर े को हम यथास्थान ही डालंगे ।े सफाई कर्मचारीयों को सही निर्देश दें
तथा धर का कचरा एक निश्चित जगह पर ही डालें व्यर्थ के विवाद से बचं।े अतं में
स्वच्छ घरा प्रकृति श्रृगार.
स्वच्छ हवा सबका अघिकारजन
जन की है यही पूकारहो
कचरे का सही निकाल.
यही है स्वच्छ भारत अभियान।
प्रेषक प्रभा पारीक
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