मोलु बंदर को मोबाईल का सबक
चुचुं चूहा ओर मुन मुन गिलहरी दौनों देखते की मोलु बंदर पापा के मोबाईल में नजरें गड़ाये बैठा रहता। स्कूल का समय हो जाता तब भी माँ खूब आवाजें लगाती पर मोलू सुनता ही नहीं और रोज देर से स्कूल पहूँचता। भागते दौड़ते तैयार होता जिससे जल्दि जल्दि में आधी किताबें बैग में, रखना ही भूल जाता| माँ का दिया खाने का टिफिन तक टेबल पर ही भूल जाता और कक्षा में दूसरों के साथ छीना झपटी करके दुसरों का खाना खा जाता। उसकी इस आदत से सभी बच्चे परेशान थे। पड़ौस में रहने वाली बिल्लु बंदरिया को भी रोज मोलु का इस तरह देर से स्कूल आना, खाना झपटना व डांट खाना बिल्कुल पसंद नहीं था।उसने मोलु को अनेकों बार समझाया पर मोलु कहाँ सुनता था।
एकदिन बिल्लु ने चुं चूं चुहिया व मुनमुन गिलहरी के साथ मिलकर मोलु को सुधारने की ठानी। रोज की तरह मोलु पापा के मोबाइल में व्यस्त था माँ पुकार पुकार कर थक चुकी थी,वह तो नहाया भी नहीं,स्कूल का समय होते ही बिल्लु तैयार हो कर निकली तब भी मोलु मोबाइल लेकर पेड़ पर बैठा था| वह चुपके से मोनु के घर के अंदर गयी ओर मोनु की माँ से बोली चाची.....आज तुम मोनु को स्कूल जाने की याद ही ना दिलाना....बस आज उसे वैसे ही बैठा रहने दो, फिर उसे सबक मिलेगा देखना चाची.....तब ही वह सुघरेगा। स्कूल का समय निकल जाने के घंटा भर बाद मोलू को घ्यान आया अरे... स्कूल जाना है....रोज की तरह नहाये घोये बगैर ही बिना इस्तरी के कपडे पहने ओर स्कूल के लिये....निकल पड़ा ।
उसने देखा अरे स्कूल का दरवाजा तो बंद है...अब क्या करें..?.सोचता हुआ घर से विपरीत दिशा की और बढता जा रहा था। अचानक उसे याद आया आज तो महत्वपूर्ण दिन है...उसे परीक्षा का फार्म भरना है। कक्षा के सभी विद्यायार्थीयो ने तो भर दिये बस उसका ही तो भरना बाकी रह गया था। अब क्या करे ?मोलू की चिंन्ता बढती जा रही थी कितने दिनो से शिक्षक ने मोलु को पास-पोर्टसाईज फोटो लाने को कहा था पर वह सब भूल गया।
इसी चिन्ता में मोलु रेलवे स्टेशन के नजदीक तक पहुँच गया। स्टेशन के बाहर ही बैंच पर कालुु बकरा व लुम्बी लोमड़ बैठे थें ।उनके हाथ में मोबाइल था जिसमें वह कुछ देख रहे थें।मोलु उनके पास बैठ गया| वह भी मोबाइल में ध्यान से देखने लगा ओर कुछ ही देर में मोलु भूल ही गया की वह कहाँ बैठा है ।
असल में कालु बकरा व लुम्बी लोमड ट्रेन में किसी का मोबाईल चुरा कर ले आये थे, वह अभी उसे देख ही रहे थे कि मोलु आ गया और स्वयं को ज्यादा समझदार दिखाते हुये उसने उनसे मोबाइल ले कर गेम खेलना चालु कर दिया। पर सामने से पुलिस को आता देख लुंम्बी लोमड़ व कालु बकरा तुरंत भाग गये ओर मोलु बेखबर मोबाइल मे गेम खेलता ही रह गया| पुलिस के साथ आये व्यक्ति ने मोबाइल पहचान लिया और पुलिस ने मोबाइल सहित मोलु को चोरी के इलज़ाम में रंगे हाथ पकड़ लिया । अब मोनु घबराया, सफाई दी स्कूल का बस्ता, स्कूल ड्रैस सभी दिखाई पर पुलिस ने उसकी बात नहीं सुनी।....अब मोलु को रोना आने लगा।
इघर माँ को भी चिन्ता हुई। मोलु घर पर नहीं पहूँचा तो स्कूल में फोन किया जानकारी मिली की मोलु तो आज स्कूल आया ही नहीं। पापा मम्मी स्कूल पहूँचे। शंभु हाथी प्रिंसिपल ने रजिस्टर देख कर बताया की मोलु तो आज स्कूल ही नहीं आया। प्रिन्सिपल ने बताया की आज स्कूल में परीक्षा के फार्म भरने की अन्तिम तारीख थी
मोलू के माता पिता परेशान से धर आये, बिल्लु बंदरिया भी खूब ड़र गयी.... चाची देखो सुधारनें के चक्कर में मोलु कैसी परेशानी में फँस गया... चाची मुझे माफ करें... रोरो कर माफी मांगने लगी....इतने में सामने से शेखु घोडा हवलदार नजर आया ....माता पिता का दिल जोरों से धडकने लगा। बोला आपको मेरे साथ पुलिस थाने चलना होगा, आपके बेटे मोलु को मोबाइल चोरी के आरोप में थाने में बन्द किया गया है।उसे मोबाइल चोर गिरोह का सदस्य पाया गया है।
माता पिता हिम्मत रखते हुये बोले नहीं..... नहीं ऐसा बिल्कुल नहीं है हमारा बेटा चोरी नहीं कर सकता .. मम्मी पापा शम्भु घोडा हवलदार के साथ थाने आये,तब नन्दु ऊट थानेदार ने सारी बात सुनकर मोनु को बाहर लाने को कहा, मोलु का तो डर व शर्म से बुरा हाल था| नन्दु ऊटं थानेदार ने मोलू से सारी बात सुनकर उसे र्निदोष माना और मोलु को घर ले जाने की ईजाजत दी और यह गलती तुम दुबारा नहीं करने की सलाह....और मोलु बंदर ने अच्छे अंक लाकर अपना वादा पूरा किया।
सीख-बच्चो,ं अति हर बात की बुरी होती है। हमें मोबाईल जैसे उपयोगी साधनों में बिना जरूरत उलझ कर अपना कीमती समय नष्ट नहीं करना चाहिये।
प्रेषक--प्रभा पारीक मुम्बई्र 9427130007
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY