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Dr. Srimati Tara Singh
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पर्यावरणीय समस्या भी है बठते मोटापे का कारण

 

पर्यावरणीय समस्या भी है बठते मोटापे का कारण
इंटर नैशनल जर्नल आफ इपिडेमियोलाॅजी में छपी रिर्पोट के अनुसार मोटापे को एक पर्यावरणीय समस्या के रूप में भी देखा जाना चाहिये क्यों की इसके साथ परिवहन उत्सर्जन अतिरिक्त भोजन की समस्या भी जुडी है रिसर्च के अनुसार दुबली पतली आबादी वाले वियतनाम जैसे देश के लोग 20 प्रतिशत कम खाते हैं और अमेरीका के मुकाबले यहाॅ करीब 40 प्रतिशत लोग मोटे हैं जो तुलनात्मक रूप से कम ग्रीन हाउस गैसौं का उत्सर्जन करते है दुबली आबादी वाले देशों में परिवहन उत्सर्जन भी कम होता हे उन्हे ठोने में कम उर्जा खर्च होती है ज्यादा तर लोग जानते हे कि एक एसयुवी ड्रयविंग या हवाइ्र जहाज में अत्यधिक काबर्न उतसर्जन होता हंै।
मानव जाती चाहे आस्ट्रªेलियाइ्र हो या बेल्जिियम, अर्जेटीना की या कनाडियन, भरतीय निरंतर मोटी हो रही हे शोध कर्ताओं के मुताबिक मोटापे की दिशा में वैश्विक रूझान को उल्टी दिशा में चलाने की आवश्यक्ता है इस लडाई में उत्सर्जन एक प्रमुख कारक है जिसे कम कर हम जलवायु परिवर्तन की गति को घीमा कर सकते है इस दिशा में कई देशों की सरकारे काम कर रही है हम स्वयं भी व्यक्तिगत तौर पर प्रयास रत रहकर भी इस समस्या को और बढने से रोक सकते है वाहन का सीमित प्रयोग वनस्पतिय सुरक्षा जल संचय उर्जा का संचय करने के पथ पर अग्रसर रहकर हम इस बढती भयानक समस्या से निबट सकते हैं।

 

 


प्रेषक श्रीमती प्रभा पारीक

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