Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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वो भी हो न सके हमारे तो क्या हुआ

 

वो भी हो न सके हमारे तो क्या हुआ
गर्दिश में आ गये तारे तो क्या हुआ


मायूस न हो दिल कभी मंजिल भी मिलेगी
गुम है अभी कश्ती से किनारे तो क्या हुआ


हाथों की लकीरों में तलाशा किया जिन्हें
किस्मत ही में नहीं वो सहारे तो क्या हुआ


जीने को तो जी लिखते पर इस तरह भी क्या जिसमे
आज खुशी ने किया हमसे किनारा तो क्या हुआ

 


प्रभा पारीक

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