Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

ये कैसी आस्था?

 

ये कैसी आस्था?
आस्था के नाम पर नदियों में सिक्के डाल कर नदियों को प्रदुषित न करें।
हमारे देश मे रोजाना न जाने कितनी रेल गाड़ियां रोज न जाने कितनी नदियो को पार करती है। इन छोटी बड़ी सभी ,महत्व पुर्ण नदियांे को पार करते समय भक्तों द्वारा श्रद्धा के नाम पर इन पवित्र नदियों में न जाने प्रतिदिन कितने सिक्के नदि के पानी में डाल दिये जाते हैं।
यह आस्था हमारी अर्थ व्यवस्था पर भी भारी हो रही है।यात्रियों द्वारा डाले गये सिक्कों कि यदि गणना की जाये तो यह रकम दहाई के चार अंकों को पार करती नजर आयेगी ,सोचें यदि रोज भारतीय मुद्रा ऐसे ही नदियों मे फैकि जाती रही, तांे भारतीय अर्थव्यवस्था को कितना बडा नुकसान है। इस की निष्चित गणना तो एक अर्थशास्त्री ही कर सकता है लेकिन रासायनिक द्रष्टि से इस पर विचार करे तो हमें इसके दुष्प्रभावों का अंदाजा आ जायेगा। इसलिये हमारा कतव्र्य बनता है कि हम इस प्रकार की जागरूकता लाने का प्रयास अपने स्तर पर अवश्य करें।
वर्तमान भारतीय सिक्के 83प्रतिशत लोहा 17 प्रतिशत क्रोमियम से बने होते है।क्रोमियम एक भारी जहरीली घातु मानी गयी है जो कि दो अवस्था में पाई जाती हेै पहली बत 3 दुसरा बत4 पहली अवस्था जहरीली नहीं मानी गयी है बल्कि क्रोमियम 4 की दुसरी अवस्था 0,05 प्रति लिटर से ज्यादा मात्रा हमार लिये जहरीली है जो सीधे कैंसर जैसी असाघ्य बिमारी को जन्म देती हे हमारी नदियों में अनेक कीमती खजाने छुपे हैं और उसका हमारे एक दो रूपै से क्या भला होगा। सिक्के फैकने का चलन तांबे के सिक्के से रहा होगा सम्भवतः ,कहा जाता है कि एक बार मुगल कालीन समय में दुषित पानी से बिमारियां फैली थी तब राजा ने प्रजा से अनुरोध किया था कि हर व्यक्ति अपने आसपास के जल स्त्रोंतो में तांबे के सिक्के डाले ,जो अनिवार्य है क्योंकि तांबा जल को शुद्व करने वाली सबसे अच्छी धातु हैआजकल के सिक्कों कोे नदी में फैकने से कोइ लाभ नहीं हे यह तो बल्कि जल प्रदुषण व बिमारीयों को बढावा देना है।
इस लिये आस्था के नाम पर भारतीय मुद्रा के हो रहे नुकसान को रोकने की जिम्मेदारी हम सभी नागरिकों की ही तो हंै।आप अपने चारों तरफ के लोगों को सिक्कों के बदले तांबे के टुकडे नदियों अथवा जल स्त्रोंतो में डालने को कहें।और देश हित में अपना योगदान दें।

 


प्रेषक श्रीमती प्रभा पारीक

 

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ