Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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शायद सब ठीक हो, कमला मौसी

 



कल कमला मौसी राष्ट्रीय टीवी पर नजर आ रही थी। सारे गांव वाले उत्साह और मान से उन्हें देख रहे थे। कमला मौसी का अपने गांव  को कोरोना मुक्त करने में बड़ा योगदान जो था। वैसे तो कमला मौसी की बात सब ध्यान से सुनते थे  किशोर व बूढ़ों को घर में रोक रखना  कठिन हो रहा था।

 इस कोरोना काल में मौसी ने अपनी एक बहुत अहम भूमिका निभाई ।जब लॉकडाउन के समय उन्होंने देखा कि कोई भी लॉकडाउन का पालन सही तरीके से नहीं कर रहा, सब आपस में एक दूसरे के घर आ जा रहे हैं। पास के गांव से भी लोग हमारे गांव में आ रहे हैं ।गांव के लोग बाहर भी जा रहे हैं और बाहर से भी लोग गांव में आ रहे हैं। जबकि सारी बस सेवा बंद थी तो लोग अपने वहां से आ जाते थे। 1 दिन गांव के सरपंच को बुखार आया और सब लोग डरने लगे । सरपंच जी को तो यह सामान्य बुखार था और वह जल्दी ठीक भी हो गए। लेकिन अब अंदर ही अंदर गांव के लोग डरने लगे थे। पर फिर भी बाहर निकलने का कोई ना कोई बहाना खोज ही लेते। कमला मौसी का घर गांव के एकदम बीचो-बीच चौगान के पास था। जहां से आम रास्ता जाता था। घर के बरामदे में एक बड़ी सी जाली लगी के सरपंच को बुखार आया और सब लोग डरने लगे । सरपंच जी को तो यह सामान्य बुखार था और वह जल्दी ठीक भी हो गए। लेकिन अब अंदर ही अंदर गांव के लोग डरने लगे थे। पर फिर भी बाहर निकलने का कोई ना कोई बहाना खोज ही लेते। कमला मौसी का घर गांव के एकदम बीचो-बीच चौगान के पास था। जहां से आम रास्ता जाता था। घर के बरामदे में एक बड़ी सी जाली लगी थी। कमला मौसी अकेली रहती थी सुबह उठकर अपने घर का काम करती और दरवाजे पर बैठ जाती अपने घर की जाली से सब देखती रहती और हर आने जाने वाले को बाहर निकलने का कारण पूछती और समझाती लेकिन उन्होंने महसूस किया फिर भी लोगों पर असर नहीं पड़ रहा था। एक दिन उन्होंने गांव के चार मुख्य लोगों से बात की और अपना निर्णय सुना दिया।अब कमला मौसी  सुबह से शाम तक दरवाजे पर बैठी रहती घर के बाहर निकलने वाले को वापस घर में घुस जाने के लिए कहती। कहना नहीं मानने वाले को गांव के लोगों से शिकायत करने की धमकी  भी देती। धीरे-धीरे लोगों ने परिस्थितियों की गंभीरता को समझा और कमला मौसी की बात माननी शुरू कर दी। आज कमला मौसी के प्रयासों से सूरत के निकट का हमारा कपोदरा गांव बिल्कुल कोरोना मुक्त था। कमला मौसी की सभी तारीफ कर रहे थे। कमला मौसी ने कहा सभी लोगों के पास काम होता है मैं तो दिनभर अकेली होती हूं विशेष काम भी नहीं है इसलिए मैंने सोचा कि मैं क्यों ना अपने गांव के लोगों की कोरोना से रक्षा ही कर लूं। उन्होंने टीवी पर दिया अपने साक्षात्कार में बताया गांव के सभी बच्चे मुझे इस काम में मदद करते थे। जब भी वह अपने घर के सामने से किसी को गुजरते देखते मुझे चुपके से फोन कर देते थे और मैं सावधान होकर उनको रोकने के लिए तत्पर हो जाती थी। बच्चों के छुपे योगदान की भी कमला मौसी ने सराहना करी। कमला मौसी के कारण ही सप्ताह में एक बार पास के गांव से दुकान वाले अपना सामान लेकर दरवाजे तक आने लगे थे। कमला मौसी की मदद के लिए सारे गांव वाले हर तरह से तैयार थे। इसलिए कमला मौसी ने इसे सामूहिक प्रयास बताया और कपोदरा गांव को कोराना मुक्त रखा। टीवी वालों को यह जानकर आश्चर्य हुआ था कि 

कमला मौसी ने सराहना करी। कमला मौसी के कारण ही सप्ताह में एक बार पास के गांव से दुकान वाले अपना सामान लेकर दरवाजे तक आने लगे थे। कमला मौसी की मदद के लिए सारे गांव वाले हर तरह से तैयार थे। इसलिए कमला मौसी ने इसे सामूहिक प्रयास बताया और कपोदरा गांव को कोराना मुक्त रखा। टीवी वालों को यह जानकर आश्चर्य हुआ था कि कमला मौसी ने बाहर एक बड़े सफेद कपड़े पर लिखकर टांग रखा था इस गांव में मत आना इस गांव में भूत है। यह सुझाव भी कमला मौसी को बच्चों ने ही दिया था। यहां तक कि गांव वालों ने भी उस  परदे को  टीवी  पर ही देखा था क्योंकि कोई बाहर निकलता ही नहीं था। उन्हें कैसे पता चलता कि ऐसा कोई पर्दा भी गांव के बाहर टंगा है।

इतना ही नहीं लॉकडॉन खुलने के बाद कमला मौसी ने अपना पुराना घर उन लोगों के लिए खोल दिया था जो बाहर से आ कर 14 दिन के लिए  घरवालों से दूर रहने के लिए बाध्य थे । कमला मोसी ने सभी बच्चों की सूझ बुझ की तारीफ करी ओर फोन करके सबको धन्यवाद दिया।


प्रभा पारीक


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