Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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रिश्तो की डोर में एक मेरा धागा एक तुम्हारा

 

रिश्तो की डोर में एक मेरा धागा एक तुम्हारा
करवा चैथ अब मात्र महिलाओं का उत्सव त्यौहार नहीं रह गया है। अब यह जोडे से भी किया जाने
लगा है दो प्यार करने वाले लोग एक दूसरे के लिये खुशी खुशी यह व्रत करते नजर आते है। कई
महिलाए परिवार से दूर होती है। तो भी आधुनिक संचार माध्यमों की मदद से दिन भर इस व्रत को
खुशी से निभा पाती हैं।
कहीं़ सात भाईयों की बहन का करवा तो कहीं राजा के शरीर से सूइयां निकालती रानी ...करवा
माता की कथाएं अलग अलग हैं। पर सभी करीब करीब एक सी ही हैं अपनी प्रतिभा के बल पर हर
चुनौति से टकराने वाले जोडे भी आंख मूुदकर करते हैं। अपने प्रेम की दीर्घायु की प्रार्थना के लिए
,किसी को कुछ दिखाने का भाव नहीं होता। बस बस अपनी अपनी आस्था भर है। प्यार के प्रति
सर्मपण ही तो करवा चैथ है।
घर परिवार से दूर रहने वाली महिलाए भी इस दिन अपनी तरह से व्रत करती हैं। जहाँ न अपने घर
जैसी चहल पहल हो ना सरगी के लिए सामान की दुकानें ।फिर भी खुश हैं कि पति के लिए व्रत
करना हैं अचरज होता है लोगों को कि कोई कैसे पूरे दिन खाये पीये बिना रह सकता है। मैं कहती
हूं जब आप किसी के साथ प्यार करते हैं आप बाहर से खूबसूरत और अंदर से मजबूत हो जाते हो।
बढता जा रहा है प्यार का ग्राफ---समय के अनुसार करवा चैथ की आस्था बढती जा रही है। आप
जिसे प्यार करते हैं उसके लिए कुछ भी करना अच्छा लगता है और प्यार का ग्राफ दिनों दिन
बढता नजर आता है
प्यार में तमाशा क्यों--- महिलाये अकसर पूरी आस्था से वत्र करतीं हैं। यह दिन भी अन्य दिनों की
तरह ही महिलाओं के लिए आपाधापी भरा होता है। उनके लिए परम्पराएं वह है जो उन्हें आगे बढायें
शाम की पूजा करना परिवार को खाना खिलाना, अपनी जिम्मेदारी पूरी तरह से निभाकर ही व्रत करती
हैं। अपने प्यार के लिये सुविधानुसार जो कर सकते हैं वो अवश्य करना चाहिए।
बदल रही है आस्था--- पूरे दिन बिल्कुल भूखे रह कर बिमार पडने का तर्क समझ नहीं आता यदि
आप भूखे नहीं रह सकते तो आप इसके नियमों को अपनी सुविधानुसार बदलें ।आपका प्यार हो या
ईश्वर कोई भी भूखा रखकर आपकी परीक्षा क्यों लेना चाहेगा।

अखण्ड सौभाग्य के लिए करवा चोंथ का व्रत
इस दिन भगवान शिव व पार्वती श्रीगणेश श्री कार्तिकेयजी की पूजा की जाती है। करवा चैथ से
सम्बंन्धित वामन पुराण में वर्णित व्रत कथा का श्रवण करने का विधान है। व्रत के दिन सुहागिन
महिलाएं नव परिधान व आभुषण धारण करके पूजा अर्चना करती है। पूजा क्रम में करवा ,जो कि
सोना, चांदी, पित्तल किसी भी धातु का या मिट्टी का हो सकता है। करवे मे जल भर भरकर सौभाग्य

व श्रंगार की समस्त वस्तुऐं थाली में सजाकर रखी जाती हैं। व्रती महिलाएं अपनी पारिवारीक
परम्पराओं व धार्मिक विधि विधान के अनुसार रात्रि में चन्द्र उदय होने के पश्चात चन्द्रमा का अघ्र्य
देकर उनकी पूजा अर्चना करती हैं।
इसके बाद चन्द्रमा को चलनी से देखकर उनकी व अपने पतिकी आरती उतारती है। घर परिवार में
उपस्थित सास, सुसर, जेठ अन्य श्रेष्ठजनों को उपहार देकर उनसे आर्शिवाद लेती हैं साथ ही सुहाग की
समस्त वस्तुए अन्य सुहागिन महिलाओं को देकर उनका चरण स्पर्श कर खुशहाल जीवन के लिए
तथा पति, पत्नी के रिश्ते को अधिक मधुर व प्रगाढ बनाने के लिए करवा चैथ का व्रत विशेष
लाभदायी बतलाया गया है।
जब अर्जुन के लिए रखा द्रोपदी ने करवा चोंथ का व्रत
करवा चैथ की परम्परा हजारों साल पुरानी है। महाभारत के दौरान विधि विधान से द्रापदी ने इस
व्रत को किया था।
युगों पहले महाभारत युद्ध में सफलता के लिए अस्त्र शस्त्र इकठ्ठा करने अर्जुन तपस्या के लिए
नीलगिरी पर्वत पर गये थे। काफी समय तक अर्जुन के नहीं लौटने पर पत्नी दौपदी परेशान हो गई
थी और तब उन्हाने अपने सखा से अर्जुन के बारे में जानकारी मांगी। तब श्रीकृष्ण ने द्रोपदी को
करवा चैथ करने की सलाह देते हुये इसकी विधि बताई थी ।
द्रोपदी ने विधिवत करवा चैथ का व्रत रखा अर्जुन सकुशल तपस्या करके लौट आये। भगवान श्रीकृष्ण
की बताई विधि के के कारण द्रेापदी का अर्जुन से फिर से मिलन हुआ।
श्रीकृष्ण ने द्रोपदी को व्रत रखने से पहले बताया था कि सुर्योदय से पहले उठ कर स्नान करके
पति के सौभाग्य की कामना की इच्छा से संकल्प लेकर र्निजल व्रत रखो। इस दिन मां पार्वती ,संग
शिव गएोश कार्तिकेय का ध्यान पूरे दिन करने के लिए बताया है। करवा चैथ के दिन दिवार पर गैरू
चूने से पीसे चांवल के आटे से करवा माता चैथ माता का चित्र बनाने की विधि कही गई है। श्रीकृष्ण
ने यह व्रत रखने से पहले द्रापदी को बताया कि आठ पूडियां अठावरी के लिए बनाई जाती है। सभी
चीजें जैसे सास को देने वाला बायना भी करवा मां को चढाया जाता है। कृष्ण के कहने पर द्रापदी ने
पीली मिटटी से गणेष पार्वती बनाये मां गौरी का श्रंगार कर उनसे सुहाग लिया और कहानी सुनी
श्रीकृष्ण ने बताया था कि करवा चैथ के दिन जो चन्द्रमां में पुरूष रूपी ब्रह्मा की उपासना करता है
उसके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं उसे लम्बी और पूर्ण आयु की प्राप्ती होती है।
प्रेमिकाएं भी रखती है प्रेमी के लिए व्रत
करवा चैथ का व्रत सुहाग और सौभाग्य का व्रत माना जात है स्त्रियां श्रद्धा और विश्वास से यह व्रत
रखती है मान्यता है कि उनके पति की आयु लम्बी होती है। दाम्पत्य जीवन में वियोग का कष्ट नहीं
सहना पडता लेकिन परम्परा से एक कदम आगे बढ कर अब प्रेमिकाएं भी प्रेमी को पति रूप में
चाहने के लिए यह व्रत रखने लगी है। ज्यातिष शास्त्र के अनुसार इसमें कोई बुराई नहीं है मंगेतर

और पे्रमिका अपने प्रेमी की लम्बी उम्र के लिए व्रत रख सकती है।इससे करवा माता का आर्शावाद
मिलता है।
भाई की लम्बी आयु के लिए भी है ये व्रत
बहन अपने भाई की लम्बी आयु और सलामती के लिए यह व्रत रख सकती है। एक प्राचीन कथा में
इसका उल्लेख भी है कि बहन अपने भाई के लिए करवा चैथ का व्रत रखती है। इसलिये कुआंरी
कन्याएं अपने भाईयों की सलामती के लिए करवा चैथ का व्रत रखती हैं भाई के लिये रखा जाने वाला
करवा चैथ का व्रत चांद को देखकर नहीं तारों को देखकर खोला जाता है जो कुआरी कन्याये भाई के
लिये करवा चैथ का व्रत रखती है उन्हे विवाहित स्त्रीयों के लिये सजने संवरने की जरूरत नहीं होती
इन्हे सिर्फ भाई की मंगल कामना करते हुए व्रत पूजा करनी होती है।
प्रभा पारीक, भरूच गुजरात

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