Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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जीवन की किताब

 

 

वर्जित व्यवहारों का इतना सैलाब
एक और जीवन की लिखना किताब

 

तोड़ना मना है इन बागों में फूल
जेठ की दुपहरी सा मौसम प्रतिकूल
मन के मतदाता पर भारी दबाव....

 

उत्सव पर चिड़ियों के सूने हैं नीड़
सच की अदालत तक अनियंत्रित भीड़
शेष पूर्व स्वीकुतियों के सब हिसाब.....

 

छन्दों के बन्धन में कब तक निर्द्वन्द्व
अनुभव रहेंगे चुप इतने स्वछन्द
जीना ही एकमात्र जब हो जबाब
एक और जीवन की लिखना किताब .....

 

 

 

प्रभुदयाल मिश्र

 

 


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