01.
मत कुरेद
मन में जमी राख
होंगे अंगार ।
---0---
02.
जलता रहा
रात भर दीपक
सिसक रहा ।
---0---
03.
छोड़ोगे जग
लौटना पड़ता है
सभी को घर ।
---0---
04.
हाँ मेरी पीर
आँखों की कमान पे
शब्दों के तीर ।
---0---
05.
आँसू छलके
हँसे; फिर पीड़ा के
गीत सुनाते ।
---00---
- प्रदीप कुमार दाश "दीपक"
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