प्रदीप कुमार दाश "दीपक"
-----------------------------------
हाइकु
----------
01.
नन्हीं सी कली
फूल बन बिटिया
महका चली ।
---0---
02.
साँस है बेटी
मखमली नर्म सी
घास है बेटी ।
---0---
03.
माता की छाया
पिता का अभिमान
बेटी है शान ।
---0---
04.
कोख से बची
दहेज से बचेगी
गर पढ़ेगी ।
---0---
05.
देर जो हुई
सहमी सी गोरैया
घर को लौटी।
---0---
06.
नर न छलो
गर्भ की कन्याओं को
मत संहारो ।
---0---
07.
फूल ना होंगे
कैसे आएगी बहू ?
फल पाओगे ।
---0---
08.
जड़ सिंचती
पीहर आती बेटी
ओस की लड़ी ।
---0---
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY