Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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बेबस प्रीत

 

 

-प्रदीप कुमार दाश "दीपक"
01.
बेबस प्रीत
सिसकते जज्बात
मँझधार में ।
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02.
कुमुद आश
चाँद पुरा करता
बुझाता प्यास ।
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03.
प्रिया के पथ
बिखेरने थे फूल
बिफरे आँसू ।
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04.
स्वप्न संसृति
गतिहीन उर में
एक परी सी ।
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05.
कच्चे मकान
बरसात में बने
मिट्टी के ढेर ।
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06.
दिन व रात
आवर्तन चक्र की
सहज बात ।
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07.
जीवन-मृत्यु
चिरंतन नियम
मास व ऋतु ।
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08.
ओस की बूंद
नभ छोड़ धरा में
बनी पियूष ।
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09.
वर्षा सुहानी
सिन्धु का हर बिन्दू
पानी कहानी ।
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10.
मूल्क हमारी
समृद्धि भी हमारी
कब्जा गैरों का ।
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11.
बौने हैं हम
नेता इतिहास हैं
स्याही हैं हम ।
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12.
मोम पुतले
दोपहर समय
धूप पहरे ।
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13.
मृग भटके
तलाश कस्तूरी के
पास उसी के ।
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14.
भूल गयीं वे
लहरें किनारे में
किसी के नाम ।
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15.
पहरा देता
अटल हिमालय
बना रक्षक ।
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