☆☆
कैसे उड़ेगी
पंख हीन चिड़िया
ओ री बिटिया !
ओ भाव की पिटारी
प्यारी बिटिया !
कब तक सहेगी
चुप रहेगी
आँगन की तुलसी
रोगों की दवा
रहेगी कब तक
मुरझाई सी
अपनी इच्छाओं की
घोंटती क्यों तू गला ?
□ प्रदीप कुमार दाश "दीपक"
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कैसे उड़ेगी
पंख हीन चिड़िया
ओ री बिटिया !
ओ भाव की पिटारी
प्यारी बिटिया !
कब तक सहेगी
चुप रहेगी
आँगन की तुलसी
रोगों की दवा
रहेगी कब तक
मुरझाई सी
अपनी इच्छाओं की
घोंटती क्यों तू गला ?
□ प्रदीप कुमार दाश "दीपक"
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