Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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बोलती आँखें

 

01.
आँखें पनीली
सहेज रखी मोती
स्मृति ये ताजी ।
02.
आँखों में पानी
कह गई कहानी
दिल की मानी ।
03.
चाँद सौगात
चेहरा चमकाती
कजरी रात ।
04.
नभ के भाल
लगा रवि तिलक
रूप दमका ।
05.
आँखें बोलतीं
सन्नाटे की आवाज
राज खोलतीं ।
☆☆☆

¤ प्रदीप कुमार दाश "दीपक"

 

 

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