प्रदीप कुमार दाश "दीपक"
----------------------------------
छोटा दीपक
01.
आदमी पंक्ति
मन एक हाइकु
छंद प्रकृति ।
-----0-----
02.
दिन है दूल्हा
दूल्हन सज रही
चाँदनी रात ।
-----0-----
03.
धूप की थाली
बादल मेहमान
सूरज रोटी ।
-----0-----
04.
नदी पगली
किनारे की सीमाएँ
लाँघती चली ।
-----0-----
05.
हवा पगली
दलदल है स्मृति
निकलो जूही ।
-----0-----
06.
विकट रात
एक दीप बताए
उसे औकात ।
-----0-----
07.
छोटी चिड़िया
उड़ रही नभ में
बाज झपटा ।
-----0-----
08.
जड़ सिंचती
पीहर आती बेटी
ओस की लड़ी ।
-----0-----
09.
दीये तो नहीं
सदियों से जलते
घी और रुई ।
-----0-----
10.
छोटा दीपक
तिमिर हरण का
बने द्योतक ।
-----0-----
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY