प्रदीप कुमार दाश "दीपक"
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दशहरे का मेला
01.
कंधे पे बैठा
दशहरे मेले में
खुश है पोता ।
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02.
रावण जला
बुराई का रावण
जिंदा ही रहा ।
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03.
काश जलता
बुराई का रावण
पुतले संग ।
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04.
पुतला जला
भीतर का रावण
मुस्करा रहा ।
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05.
खुश रावण
पुतले जलाकर
लोग हैं खुश ।
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06.
रावण जला
अब अगले साल
फिर जलेगा ।
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07.
राम की जीत
हर युग में पक्की
बात ये सच्ची ।
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