Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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फगुनवा होली के हाइकु

 

01. प्रेम का रंग
लग हरषा तन
फगवा मन ।
☆☆☆
02. स्मृति के रंग
फूलों के मकरंद
सुंदर छंद ।
☆☆☆
03. फागुनी रंग
प्रेम से पगे मन
होली उमंग
☆☆☆
04. कर गुंजन
मधुकर रचता
होली के छंद ।
☆☆☆
05. खिले पलाश
होली में रंग गयी
गोरी उल्लास ।
☆☆☆
06. आयी है होली
बादल हुए लाल
देख अबीर ।
☆☆☆
07. मन बहके
फूटी स्वप्न कलिका
टेसू महके ।
☆☆☆
08. फागुन आये
गर हँसो वरना
हाय.. सावन ।
☆☆☆
09. होली उल्लास
श्याम रंग है खास
प्रेम आभास ।
☆☆☆
10. मन उल्लास
बौराया है फागुन
गा उठा फाग ।
☆☆☆

 


- प्रदीप कुमार दाश "दीपक"

 

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