Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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जीवन गीत

 

 

jeevangeet

 

01.
बादल छाये
जीवन के सफर
छँटी न धूप ।
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02.
मृत्यु सत्य है
गिनना चाहता हूँ
अब साँसों को ।
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03.
उर की पीड़ा
आँखों से अश्रुओं की
बहती धारा ।
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04.
केवल साज़
मानव का शरीर
जीवन राज ।
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05.
ध्यानी तपस्वी
हिमालय की चोटी
अटल रही ।
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-प्रदीप कुमार दाश "दीपक"

 

 

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