Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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जीवन तुला

 

 

 

tula

 

प्रदीप कुमार दाश "दीपक"
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जीवन तुला

01.
आदमी पंक्ति
मन एक हाइकु
छंद प्रकृति ।
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02.
नदी पगली
किनारे की सीमाएँ
लाँघती चली ।
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03.
धूप की थाली
बादल मेहमान
सूरज रोटी ।
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04.
हवा पगली
दलदल है स्मृति
निकलो जूही ।
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05.
छोटी चिड़िया
उड़ रही नभ में
बाज झपटा ।
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06.
अग्नि परीक्षा
नहीं केवल प्रेम
चाहती सीता ।
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07 .
जीवन तुला
आंधी तुफान बीच
काँटा सहमा ।
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