01.
जूही रचती
खुश्बू की कविताएँ
बाँचती हवा ।
--0--
02.
पीड़ा वो पीते
मुस्कराते रहते
जीना सीखाते ।
--0--
03.
विदाई पीड़ा
लहरें काप उठीं
सिहरी हवा ।
--0--
04.
नारी महान
वसुंधरा की शान
प्रभा प्रमाण ।
--0--
05.
मानव बनें
मानवता की कद
आओ बढ़ाएँ ।
--0--
06.
जीवन जंग
लड़ कर बनोगे
गांधी गौतम ।
--0--
07.
धर्म उनके
कलियाँ खिल कर
मुरझा गये ।
---00---
-प्रदीप कुमार दाश "दीपक"
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY