Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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खुश्बू की कविताएँ

 

01.
जूही रचती
खुश्बू की कविताएँ
बाँचती हवा ।
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02.
पीड़ा वो पीते
मुस्कराते रहते
जीना सीखाते ।
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03.
विदाई पीड़ा
लहरें काप उठीं
सिहरी हवा ।
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04.
नारी महान
वसुंधरा की शान
प्रभा प्रमाण ।
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05.
मानव बनें
मानवता की कद
आओ बढ़ाएँ ।
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06.
जीवन जंग
लड़ कर बनोगे
गांधी गौतम ।
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07.
धर्म उनके
कलियाँ खिल कर
मुरझा गये ।
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-प्रदीप कुमार दाश "दीपक"

 

 

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