Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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माँ

 

प्रदीप कुमार दाश "दीपक"
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हाइकु
01.
माँ का आँचल
छँट जाते दुःख के
घने बादल ।
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02.
खुशियाँ लाती
तुलसी चौंरे में माँ
बाती जलाती ।
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03.
छोटी दूनिया
पर माँ का आचल
कभी न छोटा ।
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04.
दुआएँ माँ की
ये अनाथों को कहाँ ?
मिले सौभाग्य !
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05.
लिखा माँ नाम
कलम बोल उठी
है चारों धाम ।
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