01.
बिखरी स्मृति
चुने मन के मोती
समीप क्षिति ।
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02.
मुंडेर बैठी
हुई नहीं उदास
गोरैया कभी ।
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03.
था अहसास
मन बँध न पाया
छहर गया ।
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04.
कली जो खिली
वो महकने लगी
चूमे पवन ।
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05.
ढूँढता फिरा
मानवता का मूल्य
काश मिलता ।
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06.
विषय लिप्सा
होते भीतरी शत्रु
छुड़ाएँ पीछा ।
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07.
संदेह चक्की
सबको पिस लेती
बिल्कुल अंधी ।
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08.
आकाश छूने
आओ प्रयास करें
शायद छू लें ।
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09.
गणित सीखें
शत्रुओं को घटा लें
मित्रों को जोड़ें ।
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10.
ज्ञान की नूर
अज्ञान का अंधेरा
करे वो दूर ।
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11.
देखो दर्पण
हमसे चुरा करे
मौन अर्पण ।
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12.
नाव अपनी
पतवार अपना
नाविक स्वयं ।
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13.
नियति लेख
होनी होगी निश्चित
जगत देख ।
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14.
मिले सहसा
अमावस की रात
धैर्य चाँद सा ।
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15.
गम ही गम
ह.ह. पसीजा मन
पूरे जीवन ।
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16.
पानी सहेजे
आँख और बादल
रख न पाये ।
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17.
व्यवस्था साँचा
ढल न पाया उर
टूटने लगा ।
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18.
प्यासे ही रहे
आये नहीं बादल
पास हमारे ।
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19.
सूखी लकड़ी
संवेदनाओं पर
गिरी बिजली ।
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20.
शब्द लहरें
ढूँढती किनारे में
खोये अर्थ को ।
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21.
छूने आकाश
देवदारु सा मन
करे प्रयास ।
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- प्रदीप कुमार दाश "दीपक"
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