प्रदीप कुमार दाश "दीपक"
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ओस वृतांत
01.
चाँद को देख
सँवारता चेहरा
घना अंधेरा ।
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02.
इंद्रधनुष
चुरा लिए चुपके
रंगों को सारे ।
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03.
तारों के मध्य
चाँद को गुँथ कर
सँवरे नभ ।
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04.
धन्य चितेरा
अंधेरे को जिसने
काला उकेरा।
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05.
ओस वृतांत
हरियर दूबों को
सुनाता चाँद।
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06.
आँखों में आँसू
पावस बरबस
लाया सहर्ष ।
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07.
जीवन संध्या
तट पे रहा खड़ा
सिंधू गहरा ।
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