प्रदीप कुमार दाश "दीपक"
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प्रकृति की गोद में
01.
घर थे कच्चे
तब की बात और
मन थे सच्चे ।
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02.
वही मकान
जिसके चारों ओर
होते हैं कान ।
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03.
गाँव शहर
आदमीयत सोच
बहुत फर्क ।
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04.
थी पगडण्डी
सड़क से क्या जुड़ी
विपदा आई ।
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05.
शीतल छाँव
प्रकृति की गोद में
है मेरा गाँव ।
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