01.
लीला अपार
ईश्वर धन्य ! रचा
यह संसार ।
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02.
जरा सो रहा
इतिहास की गोद
थका भूगोल ।
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03.
पहने खादी
देर नहीं लगते
बने वो गांधी ।
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04.
संदेह नहीं
पवित्रता की धूरी
होती है नारी ।
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05.
देश ने दिया
कागजी अधिकार
नारी ले रखी ।
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06.
चाँद से प्रीत
गुनगुनाती रही
चाँदनी गीत ।
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07.
काल का यंत्र
मानवता पिरती
गन्ने की भाँति ।
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08.
भविष्य स्वप्न
वर्तमान निगले
हमें वो छले ।
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09.
दहके उर
बढ़ी जो वेदनाएँ
बने नासूर ।
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10.
एक झटका
बेरहमी से टूटा
अटूट रिश्ता ।
11.
पीड़ा की बात
अश्रुओं से नहाती
चाँदनी रात ।
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12.
वह न टूटी
रुढ़ि, रुढ़ि ही रही
हमें तोड़ दी ।
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13.
पुरानी नाव
गहरी है नदिया
जीवन दाँव ।
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14.
हम दोनों की
दूरी मात्र इतनी
मैं, और तुम ।
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15.
बसना नहीं
सीख लिया डँसना
असभ्य साँप ।
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16.
कोमल धूप
भोर में आ दूब की
पी गयी ओस ।
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17 .
छोड़ो न आप
साँसों को बे हिसाब
दोगे हिसाब ।
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18.
प्रेम की राग
गीत, लय, रागिनी
होतीं ये शाख ।
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19.
दूर हँसती
हमारी सफलता
उत्साह देती ।
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20.
लाख भगाये
दीप तले अंधेरे
छाये ही रहे ।
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21.
जल दीपक
अज्ञानता चीरते
बुझना मत ।
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22.
जन्मी बिटिया
सबके मुख दिखे
लटके हुये ।
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23.
आँखों की सीपी
पीर सागर बीच
अश्रु ये मोती ।
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24.
नर व नारी
मिल कर चलाते
रथ गृहस्थी
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25.
पथ दुर्गम
निश्चय के सामने
होते सुगम ।
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26.
प्रेम के रंग
कर जाते बेरंग
ईष्या जलन ।
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27.
शिशु चपल
तरू शिखर पर
उठी कोंपल ।
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प्रदीप कुमार दाश "दीपक"
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