प्रदीप कुमार दाश "दीपक"
01.
रात के रंग
मानो भेद रहे हों
तम के मर्म
02.
चाँदनी रात
चेहरा चमकाती
कजरी रात ।
03.
अंधेरी रात
एक दीप बताता
उसे औकात ।
04 .
चाँद तनहा
झील की पगडण्डी
चला अकेला ।
-----0----
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प्रदीप कुमार दाश "दीपक"
01.
रात के रंग
मानो भेद रहे हों
तम के मर्म
02.
चाँदनी रात
चेहरा चमकाती
कजरी रात ।
03.
अंधेरी रात
एक दीप बताता
उसे औकात ।
04 .
चाँद तनहा
झील की पगडण्डी
चला अकेला ।
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